करीब 30 महीने पहले की गई एक छोटी सी कोशिश आज हजारों उम्मीदों को परवान चढ़ा रही है। हम मानते हैं कि समाज को कुछ लौटाने की नेकनीयती के चलते अपने मकसद में कामयाबी मिलना हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है। आज ग्लोबल एंपथी ( जीई ) फाउंडेशन की सारी कामयाबी आप सभी लोगों की सद्भावनाों का नतीजा है। इसकी शुरूआत तो बहुत ही छोटे रूप में हुई थी। दरअसल जीवन में कुछ बेहतर करने के मकसद से हम कुछ साथियों ने पहले तो खुद के खर्चों पर कटौती की शुरूआत की और इसके बाद अपनी छोटी-छोटी बचत को सकारात्मक मोड़ देते हुए पारिवारिक जन्मदिन, शादी की सालगिरह, दिवगंत परिजनों की जयंती-पुण्यतिथि जैसे आयोजनों में खर्च की जाने वाली राशि से वंचित तबके के जीवन में खुशहाली लाने पहल की। ईश्वर का आशीर्वाद रहा और सभी के सहयोग से हम लोगों ने विधिवत रूप से जीई फाउंडेशन का गठन कर अपनी इन्हीं बचत से समाजसेवा में योगदान देना शुरू किया।
इंसानियत और समाज की भलाई के लिए इन 30 माह हमनें जिस मकसद के साथ 60 से ज्यादा कार्यक्रमों को सफलतापूर्वक संचालित किया, उनका परिणाम अब दिखने लगा है। इस दौरान हमनें बगैर किसी सरकारी आर्थिक सहायता के कई कार्यक्रमों को अंजाम दिया। जिसमें हमें हर कदम पर महिला एवं बाल विकास विभाग और आदिम जाति कल्याण विभाग का निरंतर सहयोग मिल रहा है। कुम्हारी परिक्षेत्र में हमारे द्वारा गोद ली गई 2४ आंगनबाडिय़ों में लगातार स्वास्थ्य जागरुकता मुहिम का सकारात्मक असर यहां के गंभीर कुपोषित बच्चों में देखने को मिल रहा है। हमें यह बताते हुए अत्यंत ही प्रसन्नता हो रही है कि कभी गंभीर कुपोषित रहे ये सभी बच्चे अब पूरी तरह सेहतमंद हो चुके हैं। इन सभी गोद ली हुई 32 आंगनबाडिय़ों में अपने कार्यक्रमों के माध्यम से गर्भवती माता, शिशु और छोटे बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए हमारे द्वारा लगातार पहल की जा रही है। अब तो हमारी संस्था और इन आंगनबाडिय़ों के बीच एक परिवार जैसा रिश्ता जुड़ चुका है।
इन आंगनबाड़ी केंद्रों में सकारात्मक बदलाव के साथ-साथ हमनें अपना ध्यान दिव्यांग बच्चों की विविध गतिविधियों पर भी किया है। दरअसल सामान्य बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य व उनकी शिक्षा के लिए योगदान देते हुए कहीं न कहीं हमारे मन-मस्तिष्क पर इन दिव्यांग बच्चों का भी ध्यान था, जो सामान्य बच्चों से कहीं भी कमतर नहीं है। इसलिए हमनें दिसंबर 2016 में पहली बार दिव्यांग बच्चों के लिए एक दिवसीय राज्य स्तरीय नि:शक्त बाल क्रीड़ा महोत्सव उड़ान-16 का आयोजन किया। जिसमें सरकारी व गैरसरकारी क्षेत्रों के प्रोत्साहन के चलते व्यापक सफलता मिली। इस आशातीत सफलता के बाद दिसंबर 2017 में भी हमनें उड़ान का आयोजन किया। जिसमें 2016 के मुकाबले कहीं ज्यादा बच्चों की भागीदारी रही। खेल के अलावा हमारा ध्यान दिव्यांग बच्चों की सांस्कृति गतिविधियों को प्रोत्साहित करने पर रहा है, इसलिए हमनें मानसिक दिव्यांग बच्चों के लिए पेंटिंग प्रतियोगिता रंगो की उड़ान का सफलतापूर्वक आयोजन साल 2017 में किया। भविष्य में हमारी तैयारी दिव्यांग बच्चों के लिए सांस्कृतिक प्रतियोगिता कराने की है। हमें विश्वास है खेल और पेंटिंग प्रतियोगिता की तरह हमें सांस्कृतिक प्रतियोगिता में भी आशातीत सफलता मिलेगी। हमें उम्मीद ही नहीं पूरा भरोसा है कि दिव्यांग बच्चों का हौसला हमें भविष्य में भी ऐसी ही शक्ति देगा और हम इस वर्ग के सर्वांगीण विकास के लिए और बेहतर कर पाएंगे।